注 释
[1] 梵文Yavakrīta。
[2] 梵文Raibhya。
[3] 梵文Kaṇva。
[4] 梵文Medhātithi。
[5] 梵文Svastyātreya。
[6] 梵文Namucu。
[7] 梵文Pramucu。
[8] 梵文Pṛṣadgu。
[9] 梵文Kavaṣa。
[10] 梵文Raudreya。
[11] 上面第六篇中讲到罗什曼那杀死因陀罗耆。此处却又说,是罗摩把他杀死的。第七篇是后来窜入的,又多了一个证据。
[12] 参阅本译作(一)《童年篇》注〔72〕。
[13] 梵文Tṛṇabindu。
[14] 梵文Paulastya,意思是“出于Pulastya(补罗私底耶)”。
[15] 这是一种“群众字源学”,意思是,毗尸罗婆(Viśravas)这个字是从字根√śru(听)衍变出来的。
[16] 梵文Devavarṇini。
[17] 指大梵天。
[18] 梵文Lokapāla,意思是“保卫世界的大神”。数目不等,有的说是四个,有的说是八个。佛教列举的数目也不统一,四、八、十、十四都有。
[19] 这是文字游戏。“我们保护”,梵文原文是rakṣāma,字根是√rakṣ,意思是“保护”。罗刹,梵文原文是Rākṣasa,两个字有相似之处,所以就被扯在一起。
[20] 同样是文字游戏。这里的梵文原文是yakṣāma(字根√yakṣ,“努力,加油”),与Yakṣa扯在一起。
[21] 梵文Heti。
[22] 梵文Praheti。
[23] 梵文Kaṭabha。与摩图皆为阿修罗名。
[24] 梵文Bhayā,义云“恐怖”。
[25] 梵文Vidyutkeśa。
[26] 梵文Saṃdhyā,义译“黄昏”或“黎明”,女神名。
[27] 梵文Paulomī,参阅本译作4.38.7。
[28] 梵文Sālakaṭaṃkaṭā。女罗刹名。
[29] 梵文garbham agnijam或agnigarbha。指河中泡沫似的东西,据说是海中之火产生出来的。
[30] 梵文ghanarāj,意思是“云彩之王”。
[31] 梵文Sukeśa。
[32] 梵文Puraṃdara,印度神话中许多神都有这个绰号;因陀罗、火神和湿婆都有。
[33] 梵文Grāmaṇī。
[34] 梵文Viśvāvasu。
[35] 梵文Śrī,音译尸哩,见下面7.5.27。
[36] 梵文Devavatī。
[37] 参阅本译作1.20.15,注〔209〕。
[38] 梵文Kareṇu。
[39] 梵文Añjana。
[40] 指祭坛上的三种火:一,家主火;二,祭坛东边的火;三,祭坛南边的火。
[41] 指三吠陀。
[42] 指三种疾病:一,风病;二,胆病;三,痰病。
[43] 梵文Narmadā,参阅本译作4.40.4;6.18.10。此二处都是河名。
[44] 梵文Hrī,参阅本译作3.44.16。
[45] 梵文Kīrti,参阅本译作3.44.16;5.18.27。
[46] 梵文Bhagadaivata,亦名Uttara-phalgunī,《翻译名义大集》3196作翼,是二十八宿之一。
[47] 梵文Sundarī。
[48] 梵文Vajramuṣṭi,参阅本译作6.33.12。
[49] 梵文Virūpākṣa,参阅本译作1.39.12。
[50] 梵文Durmukha,参阅本译作4.38.29。
[51] 梵文Suptaghna,参阅本译作6.9.1。
[52] 梵文Yajñakopa,参阅本译作6.9.1。
[53] 梵文Matta,参阅本译作5.5.23。
[54] 梵文Unmatta。
[55] 梵文Analā,参阅本译作3.13.12。
[56] 梵文Ketumatī。
[57] 梵文Prahasta。
[58] 梵文Akampana,参阅本译作6.43.2。
[59] 梵文Vikaṭa,参阅上面7.4.5。
[60] 梵文Kālakārmuka,参阅本译作3.22.31。
[61] 梵文Dhūmrākṣa,参阅本译作5.5.21。
[62] 梵文Daṇḍa。
[63] 梵文Supārśva,参阅本译作6.77.10。
[64] 梵文Saṃhrādi。
[65] 梵文Praghasa。
[66] 梵文Bhāsakarṇa,参阅本译作5.44.2。
[67] 梵文Rākā。以下都是女儿。
[68] 梵文Puṣpotkaṭā。
[69] 梵文Kaikasī。
[70] 梵文Sucismitā。
[71] 梵文Kumbhīnasī,参阅本译作6.7.7。
[72] 梵文Vasudā。
[73] 梵文Anala,参阅本译作6.28.7。
[74] 梵文Anila,参阅本译作6.116.52。
[75] 梵文Hara,参阅本译作6.18.3。
[76] 梵文Sampāti,参阅本译作1.1.57,在这里是神鹰名。
[77] 魔王罗波那之弟。
[78] 指须吉舍三子:摩里、须摩里和摩里耶梵。
[79] 都指湿婆。
[80] 梵文Madhu,与1.3.23不同。此处是一阿修罗名。
[81] 梵文Hiraṇyakaśipu,参阅本译作5.18.27。
[82] 梵文Bhaga,参阅本译作3.11.18。
[83] 梵文Aṃśa,他和跋伽都是阿底提耶名。
[84] 梵文Kālacakra,把时间比作轮子,意谓旋转不停。
[85] 梵文Pāñcajanya。
[86] 梵文 Śarabha,《翻译名义大集》4799作“八足狮”,神话中怪兽。本译作4.25.32,是猴子名。
[87] 指金翅鸟,毗湿奴的坐骑。
[88] 梵文Rāhu,妖怪。
[89] 梵文原文是Purāṇasiṃha,梵文注释Nṛsiṃha。
[90] 指毗湿奴,神王指因陀罗。
[91] 梵文Śaktidharapriyaṇ,Śaktidhara本是战神绰号,意思是“荷戟者”;但梵文注说,等于Subrahmaṇya。
[92] 梵文dhanus,在这里是长度名,一弓等于四手。
[93] 梵文Sālakaṭaṇkaṭa,参阅本译作7.4.21—7.4.23。
[94] 原文是手持海螺、铁饼和神轮的神。
[95] 尸哩(吉祥)女神手执莲花。
[96] 根据印地文译文,第三个家族指的是公公的家族。
[97] 意思是可以同三火比光辉,三火见前面注〔40〕。
[98] 梵文Daśagrīva,意即“十个头”。
[99] 财神是罗波那的异母兄。
[100] 参阅本译作1.41.12。
[101] 五火指:南边火、家主火、东边火、大庭火、家庭火。
[102] 参阅本译作1.2.30,注〔83〕。
[103] 参阅本译作1.13.18,瞿伽哩那道院周围的森林。
[104] 这里指的是所谓“四方便”或“四种手段”(upāya)。只是省掉了“挑拨离间”。
[105] 参阅本译作2.86.11。
[106] 指因陀罗。
[107] 梵文kālakeya。
[108] 梵文Vidyujjihva,参阅本译作5.5.23。
[109] 梵文Maya,参阅本译作3.52.13。
[110] 参阅本译作4.50.14。
[111] 参阅本译作4.38.7。
[112] 梵文Māyāvin。
[113] 参阅本译作5.8.48。
[114] 指毗尸罗婆。
[115] 指罗波那。
[116] 梵文Vairocana。与1.24.17,注〔237〕不同,那里是Virocana。这里的Vairocana,意思是Virocana之子,即指婆离。
[117] 梵文Vajrajvālā。
[118] 梵文Śailūṣa。
[119] 梵文Saramā。
[120] 参阅本译作1.23.7。
[121] 梵文Saramā。这是一种文字游戏。梵文saro mā,意思是:“湖啊!你别(涨)”。saro mā与Saramā音相近。
[122] 梵文Meghanāda,弥迦那陀,义云“云声”。
[123] 参阅本译作5.46.1。
[124] 梵文Nidrā。
[125] 梵文Saṃyodhakaṇṭaka。
[126] 梵文Māṇicara。
[127] 印度神话把莲花、大莲花、海螺等九种财神带的东西人格化,成为他的随从。
[128] 梵文Nidhi,财神爷神圣的财富。
[129] 梵文Nandīśvara。
[130] 梵文Mahādeva,指湿婆。
[131] 叫吼子的音译。
[132] 梵文Kuśadhvaja。参阅本译作1.69.2。
[133] 梵文Vedavatī。
[134] 梵文Śaṃbhu,参阅本译作4.42.56,注〔306〕。
[135] 意思是,通过苦行,祈求善果,是老年人的事。
[136] 参阅本译作6.18.27。
[137] 梵文Marutta。
[138] 参阅本译作1.26.17。
[139] 在印度神话中,天帝因陀罗被认为是雷电降雨之神。
[140] 婆楼那被认为是水神。
[141] 梵文Duṣyanta,《沙恭达罗》中的国王就叫这个名字。
[142] 梵文Suratha。
[143] 梵文Gādhi,与本书1.33.3之迦亭(Gādhin)不同。
[144] 梵文Gaya,参阅本译作2.99.11,注〔336〕。
[145] 梵文Purūravas。
[146] 梵文Anaraṇya,参阅本译作1.69.20,2.102.8。
[147] 这个国王指的是罗摩。
[148] 因陀罗住的地方。
[149] 参阅本译作1.1.1。
[150] 指阎罗王。
[151] 指阎罗王兵卒的躯体。
[152] 原文是能动的和不能动的。
[153] 参阅本译作3.13.17。
[154] 参阅本译作2.9.11。
[155] 参阅本译作5.19.28。
[156] 梵文Kārtasvara。
[157] 参阅本译作3.27.3。
[158] 参阅本译作1.24.17。
[159] 参阅上面7.4.14。
[160] 梵文Bhogavatī,参阅本译作4.40.36,5.2.20。
[161] 参阅本译作1.44.17。
[162] 梵文Maṇimatī。
[163] 梵文Nivātakavaca,是复数,表示是一种底提耶,不是一个底提耶。
[164] 另一个本子是“一百”。
[165] 梵文Aśman。
[166] 参阅本译作2.68.15。
[167] 梵文Kṣīroda,参阅本译作4.39.38,注〔185〕。
[168] 梵文Puṣkara,婆楼那子孙的一个将军。此字另见于本书1.60.3,注〔430〕,在那里是地名。
[169] 指婆楼那。
[170] 参阅本译作5.2.22,意思是“杀敌”,兵器名。
[171] 梵文Prabhāsa。
[172] 指首哩薄那迦,整个故事参阅本译作第三篇《森林篇》第十六章至第三十二章。
[173] 同上。
[174] 梵文Uśanas,古仙人名,后来与苏揭罗(Śukra)合为一体,成为阿修罗之主,被认为是金星保护神。
[175] 参阅本译作5.22.41。
[176] 祭祀名,参阅本译作1.13.33,注〔168〕。
[177] 祭祀名,参阅本译作2.94.2,注〔321〕。
[178] 祭祀名,梵文Gomedha。
[179] 梵文Vaiṣṇavas,祭祀名。祭祀湿婆的大典,下面“兽主”即指湿婆。
[180] 梵文Māheśvara。指对湿婆的祭祀。
[181] 梵文Tāmasī,幻术名,类似隐身术。
[182] 儿子正在祭祀,不允许说话。
[183] 参阅本译作1.3.23,注〔94〕。
[184] 参阅本译作6.7.7,女魔名。
[185] 参阅本译作5.5.20。
[186] 梵文Analā,参阅本译作3.13.12。
[187] 参阅本译作1.62.26。
[188] 据说印度古代女子夜出与情郎幽会,多着蓝色衣裳。或取其不易被人发觉。
[189] 梵文Nalakūbara。
[190] 这里暗指悉多。悉多被罗波那劫往楞伽城,魔王无法接近悉多。
[191] 梵文原文为gati,义为“道路”或“命运”。
[192] 参阅本译作1.34.19。
[193] 参阅本译作2.22.2。
[194] 梵文Marut,风神,一般是多数。与上面注〔137〕不同。
[195] 梵文mahāsattva,意思是“大人物”,人神都算在里面。中国所谓“观音大士”,就是这个意思。
[196] 印度神话说,毗湿奴肚脐中长出莲花,莲花中孕着创造主大梵天。
[197] 梵文 Śatakratu。因陀罗别名。据说一个举行过一百次马祠的祭祀者可以达到因陀罗的地位。
[198] 暗指罗摩。
[199] 梵文Dhūmaketu。
[200] 梵文Mahādaṃṣṭra。
[201] 梵文Mahāmukha。
[202] 参阅本译作(五)《美妙篇》注〔68〕。
[203] 梵文Vasu,一群神的名字。至于所指何神,则说法不一。一般说是有八个,头领是因陀罗,后为火神或毗湿奴。参阅本译作1.31.1。
[204] 梵文Sāvitra,指的是什么神,说法也颇纷纭。
[205] 指因陀罗。
[206] 梵文Jayanta。
[207] 梵文Śacī,因陀罗之妻。参阅本译作3.4.17,注〔8〕。
[208] 参阅本译作2.35.9,注〔89〕。
[209] 梵文Gomukha,意思是“牛嘴”。参阅6.60.38。
[210] 弥迦那陀有妖术,能隐身,黑雾就是他放出来的。
[211] 梵文Puloman,一作Puloma,舍质的父亲,因陀罗的岳父,阇衍陀的外祖父。
[212] 即弥迦那陀。
[213] 参阅本译作1.39.7,注〔341〕。
[214] 关于婆离的故事,参阅本译作第一篇第二十八章。
[215] 方位大象名,参阅本译作3.13.24。《摩诃僧祇律》卷四译为“伊罗白龙象”。
[216] 梵文Indrajit,音译因陀罗耆,意思“战胜因陀罗者”。
[217] 生主在这里指大梵天。
[218] 关于阿诃厘耶与因陀罗的故事,参阅本译作1.47.14—21。
[219] 梵文Māhiṣmatī。
[220] 参阅本译作1.74.23。
[221] 梵文Śara,一般认为就是芦苇。
[222] 梵文Haihaya,部族名,国王就是阿周那。参阅本译作2.102.14。
[223] 参阅本译作4.40.8。
[224] 此诗版本,差异极大。精校本不易理解。姑如此译。
[225] 这里把那摩陀河人格化,水边和水中的一些东西就被幻想成河的肢体和饰品。有类似这样风格的诗,本书还有不少。这些诗肯定是后来窜入的。
[226] 方位大象之一,参阅本译作1.39.12。
[227] 梵文liṇga,义云“男根”,是湿婆大神的象征,至今依然。
[228] 树名。
[229] 梵文Karṣaṇa,梵文注Karṣaṇam āyudhaviśeṣaḥ,意思是“karṣaṇam是一种兵器”,但字典无此义。
[230] 梵文Kṛtavīrya,古王名,阿周那之父。
[231] 分裂为二在这里指大军,不是指罗波那。
[232] 罗波那之祖父,参阅上面7.4.4。
[233] 梵文Purohita,王廷祭司,或译“国师”、“帝师”。参阅本译作1.8.4,1.8.18,注〔137〕。
[234] 梵文yaśaḥsphīta。
[235] 指补罗私底耶。
[236] 关于陀罗的故事,参阅本译作第四篇《猴国篇》第二十章至第二十五章。
[237] 参阅本译作4.13.4,注〔54〕。
[238] 即须羯哩婆。
[239] 即罗摩。
[240] 关于罗摩杀波林的故事,参阅本译作第四篇《猴国篇》第十七章。从第一章至第三十四章叙述的是罗波那的故事,都是仙人阿竭多对罗摩讲出来的。
[241] 从这一章开始,叙述的是哈奴曼的故事。
[242] 指阿竭多。
[243] 指妙项。
[244] 参阅本译作4.38.17。
[245] 参阅本译作4.65.8。
[246] 参阅本译作5.1.166。罗睺即其子。
[247] 梵文Parvakāla,Parva天文学术语是“交点”。
[248] 罗睺误认哈奴曼为另一罗睺。
[249] 神象名。
[250] 指因陀罗。
[251] 梵文vaṣaṭ,祭祀时的呼声。参阅本译作1.52.14,注〔406〕。《翻译名义大集》2756作“无遮地”。这个词儿的意思大概是没有人举行祭祀了。
[252] 指风神。关于阿底提,参阅本译作1.17.7。
[253] 参阅本译作3.23.17。
[254] 印度神话说,大梵天有四张脸。
[255] 诗人在这里对大梵天使用了三个形容词:一是triyugma,“具有三对品德的”,这三对品德是:令誉与精力,尊严与华美,智慧与对尘欲淡漠;二是trikakud,“三次超过与自己相等的”;三是tridhāman,“在三界中闪光的”。
[256] 因陀罗。
[257] 哈奴曼,梵文是Hanumat (mān),hanu的意思是“下颔”,mat的意思是“具有”,阳性单数体格是mān。因此有人将Hanumat意译为“大颔猴”。这里的解释只能看作是一个神话。
[258] 参阅本译作1.24.18。
[259] 梵文Aṇgirasa。
[260] 作太子。
[261] 即妙项。
[262] 梵文Udyadgiri,山名。
[263] 参阅本译作4.23.18。“吉里”,梵文“山”。
[264] 参阅本译作4.25.32。
[265] 参阅本译作4.25.32。
[266] 参阅本译作4.13.4。
[267] 参阅本译作4.13.4。
[268] 梵文Tāreya。
[269] 参阅本译作4.38.28。
[270] 参阅本译作4.13.4。
[271] 意思是,为了助罗摩平妖复国,神仙们制作出这样许多猴子。此意前面已经讲到过。
[272] 哈奴曼的故事,到此结束。
[273] 罗摩的故事,自此开始。
[274] 梵文Pratardana。
[275] 译文基本上根据印地文译本。梵文原文似不清楚。
[276] 波林之岳父,参阅4.22.13。
[277] 参阅4.32.11。
[278] 参阅4.38.14。
[279] 参阅4.25.32。
[280] 参阅4.25.32。
[281] 参阅4.25.32。
[282] 参阅4.25.32。
[283] 参阅4.25.32。
[284] 梵文tuṇga,学名lotus stamina。
[285] 梵文Kāleyaka,学名curcuma xanthorrhiza。
[286] 梵文priyaṇgu,《翻译名义大集》,5661作“卮子”。
[287] 梵文kadamba,参阅4.27.18。
[288] 梵文kurabaka,红色不凋花,参阅4.1.40,注〔31〕。
[289] 梵文pāṭalī,参阅6.30.4。
[290] 参阅本译作2.78.3。
[291] 都是天上乐园名。参阅3.30.15,注〔165〕、〔166〕。
[292] 都是天上乐园名。参阅3.30.15,注〔165〕、〔166〕。
[293] 参阅1.72.8。以下都是大臣名字。
[294] 梵文Madhumatta。
[295] 梵文Piṇgala。
[296] 梵文Kuśạ。
[297] 梵文Surāji。
[298] 梵文Kāliya。
[299] 梵文Bhadra,参阅1.39.21。这里没有注梵文原文。
[300] 梵文Dantavakra。
[301] 梵文Samāgadha。
[302] 梵文upavana,意思是“小园林”。《翻译名义大集》2994,作“喜悦林”。
[303] 即须弥多罗,意译“妙友”。
[304] 参阅1.7.2。
[305] 梵文Tamasā。
[306] 精校本是rājabhavanāt,意思“自国王宫中”,与上下文不合。另一本子是rājavacanat,意思是“根据国王的命令”,我认为这个读法是正确的。
[307] 梵文是lakṣmivardhana,意思是“增强幸福”,是一个常见的形容词。
[308] 参阅2.43.9,河名。
[309] 关于大神湿婆用头顶恒河水的故事,参阅本译作第一篇第四十二章。
[310] 参阅1.58.21,注〔426〕。
[311] 梵文samādhi,意译“定力”。《翻译名义大集》126,作“三昧力”,506等,又作“三昧地”,507又作“三摩地”。中国古代小说中的“三昧真火”,即来源于此。
[312] 梵文Durvāsas。印度古代神话中大仙人,以脾气暴躁,善于发火著称。《沙恭达罗》第四幕中沙恭达罗怠慢的大仙人就是他。他发出诅咒,成为这个剧本剧情发展的一个关键。
[313] 参阅本译作(一)《童年篇》注〔90〕,2.109.5。
[314] 苏曼多罗原是十车王车夫兼大臣,在这里他又成了看门人。古代印度车夫的地位同中国古代不完全一样,他在宫廷中的地位是相当高的。在两大史诗中,“车夫”的梵文sūta,同时又可以是宫廷诗人。在为国王赶车赴战场时,或在国家庆典上,他要唱诗歌颂国王或其祖先的丰功伟绩。
[315] 参阅本译作(一)《童年篇》注〔72〕。
[316] 梵文Lola。
[317] 即湿婆。
[318] 梵文Mahādeva,即湿婆。
[319] 指设睹卢祇那。
[320] 指婆罗多,他排行居中。
[321] 梵文是“痛苦的床铺上”,据印地文译本译为“俱舍草铺”。
[322] 罗摩流放时,婆罗多奉罗摩命,代摄国政。他避开首都阿逾陀,暂居难提羯罗摩,以俟罗摩归来。参阅1.1.31,注〔36〕以及有关故事。
[323] 梵文只说制造神箭,没有指明制造者。根据印地文译本,补上制造者毗湿奴大神。
[324] 印度古代神话中有两个摩图,都是阿修罗。一个为毗湿奴所杀,一个为设睹卢祇那杀。大史诗《摩诃婆罗多》中也有这个故事。
[325] 指兵器打击的对象。
[326] 意思是让他带上货物。
[327] 梵文Sudāsa。
[328] 梵文Mitrasaha。
[329] 在这里梵文是Saudāsa,把Sudāsa第一个音节的u改变成三合元音au,表示“出自Sudāsa”,也就是“Sudāsa的儿子”
[330] 梵文Madayantī。
[331] 关于罗摩二子罗婆与俱舍的故事,参阅本译作第一篇《童年篇》第四章。
[332] 梵文Lava,意思是草梗的下一段。
[333] 根据印地文译本指照顾悉多的苦行女。
[334] 梵文 Śrāvaṇī。《大唐西域记》卷二作“室罗伐拿月”,是夏三月中的第二个月,相当于中国旧历的五月十六日至六月十五日。
[335] 参阅本译作1.69.22。
[336] 同上。
[337] 意思是“天神”,与“阿修罗”相对,“阿”字的意思是“非”。
[338] 梵文yuga,一般译为“时”。参阅本译作(一)《童年篇》1.1.73,注〔72〕。
[339] 在这里,梵文原文似乎是Madhun。
[340] 梵文是Śūrasenā。如果是一个Bahuvrīhi(多财释)的话,意思就是“有英雄军队的(城)”。
[341] Caturvedī Dvārakāprasāda Śarmā印地文本译为城名,恐怕是错误的。
[342] 参阅本译作1.7.3。
[343] 参阅本译作1.68.4。
[344] 参阅本译作2.61.2。
[345] 参阅本译作1.8.7,这是另一个人。本书2.61.2,与此处的是一个人。
[346] 参阅本译作1.68.4。
[347] 参阅本译作1.11.6,2.100.1,他是一个唯物主义者。
[348] 参阅本译作1.47.15,3.6.14。
[349] 参阅本译作1.1.1。
[350] 梵文Śaivala。
[351] 梵文Śambūka。
[352] 参阅本译作1.37.3。
[353] 梵文Sudeva。
[354] 梵文Śveta。参阅本译作3.13.22,那里的尸毗陀梵文是Śvetā,阴性,鸟名。
[355] 梵文Kāladharma,意思是“时光流逝的规律”,换句话说,就是“死亡”。
[356] 梵文Daṇḍa。
[357] 梵文Madhumanta。
[358] 梵文Śukra,参阅本译作4.53.4。
[359] 梵文Caitra。《大唐西域记》卷二作“制呾罗月”,相当中国唐代正月十六日至二月十五日。
[360] 梵文Arajā。
[361] 梵文dharmanetra。
[362] 梵文是Dharmasetu,据梵文注释Dharmasetuṃ rājasūyam ityarthan,也就是说,Dharmasetu等于Rājasūya。关于Rājasūya,参阅本译作2.94.4,注〔321〕。
[363] 梵文Mitra。此神来源极古,印伊时代即已有之。到了印度古代神话中降为阿底提耶之一。
[364] 梵文Soma,亦为印伊时代之神。苏摩大概是一种植物,可以酿酒。逐渐神化,成为酒神。在《梨俱吠陀》中出现次数极多,可见其受崇拜之程度。
[365] 梵文Aśvamedha,在本书屡屡提到,参阅本译作(一)《童年篇》1.1.74,注〔73〕。
[366] 参阅本译作5.19.28。
[367] 印度神的伦理标准和心理状态,和中国神是完全不一样的。印度人相信,行苦行就能获得神通,积累功德。一有功德,苦行者就可能自己变成神,换句话说,就是篡其他神的神位。因此,天上的大神,从天帝因陀罗起,都对苦行者恐惧而又嫉妒。所以苾力特罗一苦行,天上诸神就受不住。我很想建立一门新的“学科”:神仙比较心理学或伦理学研究。其中大有文章可作。
[368] 苾力特罗虽然是阿修罗,但却被认为是婆罗门。连十头魔王罗波那,也是出身于婆罗门世家。
[369] 因陀罗原是雷电之神。
[370] 在这里,抽象的罪过人格化或神格化了,它变为一个女子。
[371] 指罪过的化身。
[372] 参阅本译作3.13.7,注〔47〕。
[373] 梵文Bāhli。
[374] 梵文Ila,阳性。
[375] 指生理上的。
[376] 梵文Ilā,是Ila(伊罗)的阴性。
[377] 梵文Asurī,女阿修罗。
[378] 指步陀。
[379] 梵文Kiṃpuruṣa,原意是“什么样的人?”印度古代神话中一种类人的东西。原来可能是一种猴子,后来,又与紧那罗(1.16.6)相等。住于醯牟俱吒(Hemakūṭa)山中,是财神爷的随从。
[380] 梵文Kiṃpuruṣī,女性。
[381] 梵文Kiṃnarī,女紧那罗,在这里等于紧补卢悉。
[382] 梵文精校本作Mahāgraham,意思是“大罗喉”,显然是指苏摩的儿子。另一本作mahāprabham,是一个多财释的复合词,意思是“有大光辉的”。
[383] 即苏摩。
[384] 梵文Mādhava,即吠舍佉月,见《大唐西域记》卷二,是春季的第二个月。
[385] 指伊罗,他现在又变成男子。
[386] 指伊罗。
[387] 参阅本译作2.102.14。
[388] 梵文Ariṣṭanemin,参阅本译作1.37.4。
[389] 梵文Pramodana。
[390] 梵文Modakara。
[391] 梵文Kratu,参阅本译作3.13.8。
[392] 梵文Vaṣaṭkāra。
[393] 梵文Oṃkārā。
[394] 即湿婆。
[395] 梵文Naimiṣa,俱摩底河畔一森林名。
[396] 梵文ayuta,有时也译音为阿由他,印度大数名,究竟有多大,说法不一。
[397] 梵文mudga,《翻译名义大集》5648,作“绿豆”。
[398] 按指婆罗多、罗什曼那和设睹卢祇那的老婆们。
[399] 参阅本译作(一)《童年篇》1.21.7,注〔212〕。
[400] 梵文Śukra-nīti,据印地文译本,指《苏揭罗政事论本集》。
[401] 梵文geya,歌曲的一种。《翻译名义大集》1268,作“美音经、重颂,又祗夜”。
[402] 原文单数,指罗摩。第二行的“国王”是复数,指在座的其他国王。所谓“用眼睛喝进”,是形象化的说法,指仙人们和国王们目不转睛地注视着罗摩父子。
[403] 梵文Śakti。
[404] 梵文Vāmana,意思不同。1.6.22是“方位大象”;1.28.12是“侏儒”;此处是人名。
[405] 这里并非重复,因为跋哩迦婆不是人名,而是家族名。
[406] 梵文Śatānanda。参阅本译作1.50.1,那里没注梵文原文。
[407] 梵文Agniputra。
[408] 指蚁垤。
[409] 梵文manas,意思是“心”或“心意”。
[410] 关于“瀑布”这个字,两个印地文译本都没有交代。但在梵文本中这个字是明白无误的。
[411] 梵文Apsarā,天女。
[412] 参阅本译作2.22.2。
[413] 参阅本译作(一)《童年篇》注〔168〕。
[414] 同上。
[415] 同上。
[416] 祭祀名,梵文Gosava。
[417] 参阅本译作1.72.1。
[418] 梵文Kekaya。参阅本译作1.12.21。
[419] 参阅本译作2.29.22。
[420] 参阅本译作2.1.6,与逾达耆应为一人。
[421] 参阅上面7.12.22。
[422] 梵文Takṣa。
[423] 梵文Puṣkala。
[424] 梵文Saṃvarta。此字已见于本书1.26.17,7.18.3,7.81.4等处,但都是人名。此处却是兵器名。
[425] 此处作Puṣkara,而7.90.16则作Puṣkala,本是一人。1.60.3是地名。
[426] 梵文Aṇgada。此名已见于本书4.15.14等处,是猴王太子之名,与此处不同。
[427] 梵文Candraketu。
[428] 梵文Kārāpatha。
[429] 梵文Candrakānta。
[430] 梵文Aṇgadīya。
[431] 梵文Malla,义为“力士”,又是种姓名和民族名。
[432] 参阅本译作1.21.10。
[433] 梵文Māyā。
[434] 意思是,让罗摩返回天宫。
[435] 梵文Madhu和Kaiṭabha。这两个名字多次见本书中,是两个阿修罗的名字,都为大神毗湿奴所杀。
[436] 印地文译本对这一段作了一些解释。摩图和吉吒婆的骨头覆盖着包括高山的大地。他们的骨髓(medas)被消化掉,形成了大地(medinī)。这是第一个解释。第二个解释是,摩图和吉吒婆死后,摩图的脂肪流入水中,水就变稠了,而这水一干,就成了大地。吉吒婆的身子里全是骨头。他一死,他的骨头就变成高山,因此大地被高山所覆盖。
[437] 阿底提和丈夫迦叶波有时候被说成是群神的父母。
[438] 参阅本译作(一)《童年篇》注〔90〕。
[439] 梵文Kuśāvatī。
[440] 梵文Śrāvatī。
[441] 梵文Subāhu。此名已见本书1.18.5;但与此处不同。在那里,它是一个罗刹的名字。
[442] 梵文Vaidiśa。
[443] 梵文Śatrughātin。
[444] 参阅本译作(一)《童年篇》注〔168〕。
[445] 梵文Sāvitrī。在这里不是人名,而是一种诗歌韵律的名字,是Gāyatrī的一种形式。
[446] 参阅本译作2.22.2。
[447] 梵文Sāntānika。Monier-Williams的《梵英字典》解释为“某一些世界的名字”,没有其他说明,而且注明见于《摩诃婆罗多》。E.W.Hopkins的《史诗神话》中没有解释。紧接着下一颂说,傍生动物将转生在散陀那世界。散陀那梵文是Saṃtāna,此字已见于本书1.27.8,但在这里不是世界名,而是兵器名。Moniter-Williams《梵英字典》把Saṃtāna解释为“某一些世界的名字”,注明见于《罗摩衍那》。Hopkins《史诗神话》对此字也无说明。我怀疑,这两个字本是同源,详细解释有待于进一步探讨。
[448] 梵文Saṃtāna。解释已见上一个注。据印地文译文,散陀那世界与梵天世界相连接,同梵天世界一样,这里的居住者都是同梵天一同得到解脱的神仙。从神仙中化身出来的猴子和熊罴,现在都又化为神仙,复归原位。关于神仙化身为猴、熊的故事,参阅本译作(一)《童年篇》第十六章。
[449] 见上注。
[450] 梵文Gopratāra。
[451] 都指大梵天。
[452] 都指大梵天。
《罗摩衍那》译后记
我从一九七三年起开始翻译《罗摩衍那》,弹指之间,已经过去十年了。现在我终于走过了独木小桥,也走过了阳关大道,把全书最后一篇(第七篇)的草译稿整理誊清,这一部两千年来驰名印度和世界的洋洋巨著就算是全部翻译完了。我轻松地舒了一口气,陡然觉得肩头上的担子减轻了许多。
经常有一些朋友对我翻译这样一部巨著感到有点惊奇。他们似乎觉得,我做这一件并不轻松的工作,一定是十年读书,十年养气,做好了充分的准备工作,才动手翻译的。事实不但不是这个样子,而且恰恰相反。与其说我有什么准备,毋宁说我毫无准备。我翻译这一部书,完全出于一种意外的偶然性。只要想一想一九七三年的情况和我当时的处境,就完全可以了解这一点的。
当时,“四人帮”还在台上,耀武扬威,飞扬跋扈,“炙手可热势绝伦,慎莫近前丞相嗔”。我虽然不再被“打倒在地,身上踏上一千只脚,永世不得翻身”,但处境也并不美妙。我处在被打倒与不被打倒之间,身上还背着不知多少黑锅。国家的前途,不甚了了;个人的未来,渺茫得很。只有在遥远的未来,在我所看不到的未来,也可以说是在我的心灵深处,还有那么一点微弱但极诱人的光芒,熠熠地照亮了我眼前的黑暗,支撑着我,使我不至完全丧失信心,走上绝路。其间差距,也不过一头发丝宽。现在回想起来,还不寒而栗。我曾相信,自己一生恐怕很难看到这光芒来到我面前了。我的归宿大概是到一个什么边疆地区或者农村,去接受一辈子“再教育”。我当时对自己的前途只能看到这一点。一切别的想法,都是非分的、狂妄的、不应该的。我当时过的日子,也完全同我的心情相适应。一个月有几天要到东语系办公室和学生宿舍所在的楼中去值班,任务是收发信件,传呼电话,保卫门户,注意来人。我当时几乎成为一个“不可接触者”,出出进进的人很多,但多半都不认识,我坐在那里也等于尸位素餐,对保卫门户,起不了什么作用。不过我仍然准时上班,安心工作,习以为常,并无怨言。我想,这样平平静静地活下去,无风无浪,也还是很惬意的。
是不是我就完全消极而且悲观了呢?不,不,不是这样。我上面讲到的那一点埋在我内心里的光芒,虽然我自认为是遥远到我终生难近,但它毕竟是具体的,是真实的,又是诱人的,我还愿意为它尽上我的力量。即使自己见不到,也没有多大关系。“前人栽树,后人乘凉”,古有明训,实属正常。而且在我过去几十年来的生活中,我养成了一个闲不住的习惯,我指的是读书和写作的闲不住;不管好坏,我总得思考点什么,写点什么,我决不让自己的脑筋投闲置散。
但是,在那样的境况下,我还能思考什么呢?又能写点什么呢?创作已经毫无可能,研究也早已断了念头。想来想去,还是搞点翻译吧。翻译了而能出版,那是根本不可能的事情,我连想也没有去想。既然为翻译而翻译,为了满足自己那闲不住的习惯而找点活干,最好能选一种比较难的、相当长的、能旷日持久地干下去的书来翻译,这样可以避免由于经常考虑这个问题而产生的困难、尴尬的局面。我过去翻译过几本印度古典文学名著,曾被某一些“左”得幼稚可笑而又确实“天真”的人们称作“黑货”与“毒品”。现在再选择也出不了这个范围。我反正也不想出版,“黑货”就“黑货”、“毒品”就“毒品”吧。结果我就选中了《罗摩衍那》。
这一部史诗的梵文原本,在国内只能找到旧的版本。我从什么地方知道了,印度新出了一部精校本,是继《摩诃婆罗多》精校本后的另一个伟大的成就,颇受国际上梵文学者的好评。但此书国内没有。我于是抱着一种侥幸的心理和试一试的想法,托北京大学东语系图书室的同志去向印度订购。我预料,百分之九十九是订不到的;即使订到,也要拖上一年两年。好在那时候时间对我已经没有多大意义,一年两年就一年两年吧。但是,真正是出我意料之外,没过了几个月,书居然来了,装订精美的七大巨册,整整齐齐地排在那里。我起初简直有点不敢相信自己的眼睛。我一时吃惊得说不出话来。
这对我当然是一个极大的鼓励,心里面那一点犹犹疑疑的念头为之一扫而空,我决心认真地进行翻译,我于是就濡笔铺纸干了起来。这是一部世界名著,对印度,对南亚,对东南亚,对蒙古,对中国,特别是西藏,甚至对欧洲一些国家,都有极大的影响,而且这影响还不仅限于文学,舞蹈、绘画、雕刻、戏剧、民间传说等等,无处没有它的影响。在印度以及南亚、东南亚一些国家,真可以说是家喻户晓,深入人心。一直到今天,并无减少之势。意大利文、法文、英文都有了全译本。据说苏联也已出了俄文译本,在译本完成时,苏联科学院还召开过隆重的庆祝大会。日本也有人正在翻译并且开始出版。还听说,美国有一个专门研究《罗摩衍那》的学会。至于研究这部书的著作,不管是在印度国内,还是在印度以外,那就多得不得了,真可以说是汗牛充栋。总之,这是一部非常值得而且必须翻译的书。在中国历史上,我们曾在一千多年的长时间内翻译了大量的佛经。《罗摩衍那》这一部书和书中的故事,汉译佛典中虽然都提到过,但却一直没有翻译。因此,翻译这部书就成了刻不容缓的当务之急。此时,我眼前和我内心深处的那一点遥远的光芒也起了作用,它在无形中督促着我,虽然渺茫,但又具体,它给我增添了力量。
我原以为,《罗摩衍那》的梵文原文,除了个别的章节外,是并不十分难懂的。虽然量极大,翻译起来会遇到困难,但也不会太多。可是一着手翻译,立刻就遇到了难题。原文是诗体,我一定要坚持自己早已定下的原则,不能改译为散文。但是要什么样的诗体呢?这里就有了问题。流行的白话诗,没有定于一尊的体裁或者格律,诗人们各行其是,所有的形式我都觉得不恰当。我于此道是外行,不敢乱发议论。所谓马雅可夫斯基体,在这里更是风马牛不相及,根本用不上。完全用旧诗来译,也有困难,一是不能做到“信”,一是别人看不懂。反复考虑,我决定译成顺口溜似的民歌体。每行字数不要相差太多,押大体上能够上口的韵。鲁迅先生谈到的那几条关于新诗的意见,我认为是完全正确而又可行的。鲁迅说:
我以为内容且不说,新诗先要有节调,押大致相近的韵,给大家容易记,又顺口,唱得出来。但白话要押韵而又自然,是颇不容易的,我自己实在不会做,只好发议论。(1934年致窦隐夫函)
麟德元年春正月朔,一日,翻经大德及玉华寺众,殷勤启请翻《大宝积经》。法师见众情专至,俯仰翻数行讫,便摄(收)梵本,停住告众曰:“此经部轴与《大般若》同,玄奘自量气力不复办此。”
〇年出版了。印刷精美、装订富丽的一巨册明白无误地摆在我面前,我心里当然感到非常喜悦。接着在两年半以内又出版了第二篇、第三篇、第四篇。这已经超出了我原来的“画地为牢”的界限了。再回想自己当时画定第三篇为界限,觉得非常可笑了。这时候我又连续收到朋友们的来信,当然都是鼓励之辞。有的朋友甚至说,这是中国翻译史上的一件大事。这未免言过其实,我是绝对不敢当的。外国朋友也给了我鼓励。一九八〇年夏天我访问日本时,带去了几本第一篇,送给对《罗摩衍那》有兴趣的日本朋友,征求他们的批评意见。东京大学著名梵文学者原实教授表示出很大的兴趣。以后出的几篇也都送给了他。其他日本朋友,比如汤山明博士等等也似乎很感兴趣。同年冬天,我访问西德,带去了几本第一篇。我的老师瓦尔德施密特教授似乎有点责怪我不务正业。他说:“你应该继续搞你的佛典语言研究嘛!”他哪里了解我的苦衷呀,无论如何,他过去对我的培养,今天对我的期望,我是永远铭感五内的。此外,美国朋友、意大利朋友和法国朋友,对于我的翻译也都感到兴趣。至于印度朋友,因为《罗摩衍那》毕竟是他们的国宝,不管我的译文水平如何,他们决不会吝惜自己的赞扬的。最近我还接到著名作家韩素音女士的信,她对我的工作表现出极大的兴奋。所有这一些朋友,都难免有溢美之词。好在我还有点自知之明,头脑还算清醒,从来没有飘飘然过。
总而言之,由于以上一些不期而获的嘉奖,我更加鼓起了干劲。近四五年以来,我的行政工作和社会工作越来越多,我现在究竟有多少兼职,包括挂名的在内,我自己都弄不清楚。但是,在同时,我给自己规定的科研项目也越来越多,范围越来越广。连同我在一起工作了二三十年的同志,看到我的一些课题,都有点吃惊,莫名其妙。我原以为自己被迫成为“杂家”,现在看来,我天生大概就是一个杂家的料子。但是,跟着“杂”而来的就是会多。一位老同志曾慨叹过:“春花秋月何时了?开会知多少!”我深有同感。就是在这样的情况下,我并没有放松《罗摩衍那》的翻译工作。到了今天,经过了十年的漫长时间,我终于把这一部长达两万颂,译成汉文近九万行的史诗全部翻译完了。
翻译这样一部巨著,除了几次内心里的波动以外,其余的事情是不是就一帆风顺了呢?
当然不会的。在翻译过程中,我曾遇到了不少的困难。约略言之,可以说有以下几个方面。首先是内容问题。这一部大史诗,虽然如汪洋大海,但故事情节并不复杂。只需要比较短的篇幅,就可以叙述清楚,胜任愉快,而且还会紧凑生动,更具有感人的力量。可是蚁垤或者印度古代民间艺人,竟用了这样长的篇幅,费了这样大量的词藻,结果当然就是拖沓、重复、平板、单调;真正动人的章节是并不多的。有的书上记载着,我也亲耳听别人说过,印度人会整夜整夜地听人诵读全部《罗摩衍那》,我非常怀疑这种说法。也有人说,古代民间文学往往就是这样,不足为怪。这个说法或许有点道理。不管怎样,这种故事情节简单而叙述却冗长、拖沓的风格,有时让我非常伤脑筋,认为翻译它是一件苦事。
其次体裁问题。《罗摩衍那》被当作史诗,而且是“原始的诗”,我必须译成诗体,这一点上面已经谈到过了。这个决心我从未动摇过。但是,既然是诗,就必然应该有诗意,这是我们共同而合理的期望。可在实际上,《罗摩衍那》却在很多地方不是这个样子。整个故事描绘纯真爱情的悲欢离合,曲折细致,应该说是很有诗意的。书中的一些章节,比如描绘自然景色,叙述离情别绪,以及恋人间的临风相忆,对月长叹,诗意是极其浓烈的,艺术手法也达到了很高水平。但是大多数篇章却是平铺直叙,了无变化,有的甚至叠床架屋,重复可厌。更令人难以忍受的是一些人名、国名、树名、花名、兵器名、器具名,堆砌在一起,韵律是合的,都是输洛迦体,一个音节也不少,不能否认是“诗”,但是真正的诗难道就应该是这样子的吗?我既然要忠实于原文,便只好硬着头皮,把这一堆古里古怪、诘屈聱牙的名字一个一个地忠实地译成汉文。有时候还要搜索枯肠,想找到一个合适的韵脚。严复说道:“一名之立,旬月踟蹰。”我是“一脚(韵脚也)之找,失神落魄”。其痛苦实不足为外人道也。然而,我知道得很清楚,哪一个读者也不会有这样的耐心,真正去细读这样的“诗”。我用力最勤,包括脑力与体力都在内的地方,却正是读者连看也不看的地方。看到这里,他们会跳越过去的。呜呼,哀哉!真是毫无办法。
这样的诗,不仅印度有,我们中国也是古已有之的。从前幼儿必读的《百家姓》、《三字经》、《千字文》之类的书,不也合辙押韵像是诗吗?可是谁真正把它真作诗呢?《罗摩衍那》自然同这类的书还有很大的不同,不能等量齐观。但其中也确有一些这样的“诗”,这是不能否定的。印度古代许多科学著作也采用诗体,目的大概是取其能上口背诵,像是口诀一类的东西。在这一点上,中印是完全相同的。
关于体裁,我在这里还想补充一点。翻译原则,我在上面已经讲过,我赞成鲁迅那几点对诗的要求。从第一篇开始,我确实也是这样做的。但是,随着翻译工作的进展,我越来越觉得别扭。我觉得,我使用的那种每行字数大体上差不多的诗体,还不够理想;还不如干脆译成七言绝句、少数五言绝句式的顺口溜,这样也许更接近中国的民歌。译到第六篇下半部时,我就毅然改了。整个第七篇也基本上是这样做的。现在全书已经译完,我是不是就很满意了呢?不,不是这样。我也还是越来越觉得别扭。这种顺口溜也不能保证产生诗意,而且那些人名、地名、花名、树名,照样诘屈聱牙,还不能排得整齐。我有时腻味到想毅然停笔,不再翻译下去。但害怕功亏一篑,我还是硬着头皮译完全书。我虽然不是专业翻译家,但对翻译也确实有相当长的历史。中学时候,我就翻译过吉卜林的小说。大学时译过英国散文和美国小说。解放后翻译德国短篇小说,古典梵文和巴利文,以及吐火罗文的文学作品,还曾译过俄文论文。我虽然从没有自满过,但从来没有腻味和别扭之感。现在已年逾古稀,却忽然怀疑动摇起来。这实在可以说是一件憾事。然而,事实就是这样,我只有直白地说了出来。但是,我毕竟还可以自慰:不管怎样,我总算是把书译完,没有让它成为断了尾巴的蜻蜓,这一点我的老朋友们恐怕会同意吧。
最后,我再谈一谈译名的问题。这个问题我起初认为比较简单:只需搞出一个译音表,然后,人名、地名、花名、树名、兵器名、器具名,都自己对号入座,岂不十分轻松愉快?然而实际上却行不通。有一些名字中国古代已有现成的译名,行之既久,约定俗成;若再改动,反而不便。这些译名必须保留。它们一保留,则我那幻想中的译音表还有什么意义?连在这一部书中想统一译音都有困难,何况其他书籍?结果我只好放弃原来的如意算盘,自创译名。最初还小心谨慎,后来觉得也没有什么必要,索性任意为之。好在我心里很清楚,决没有人会根据我的译名去探讨中国音韵发展与演变的历史。就让它这样去吧!
我在上面讲了这么多问题和困难,难道我就时时刻刻都同这些问题和困难拼搏吗?如果真是这样的话,那么,这十年漫长的日子可真是极难熬过来了。事实上并不是这样。在过去十年中,我是既有痛苦,又有快乐;既有险阻,又有顺利;既有内心的波动,又有外来的鼓励。何况,我翻译这一部巨著,并不是单打一。几十年来的环境,使我养成了一个同时搞几种科研和翻译工作的习惯。让我单打一,或者单打一二,或者给我一间清静的屋子关起门来翻译或写作,我会感到非常别扭,什么东西也写不出。在翻译《罗摩衍那》时,也是这样。除了这件事以外,我还有许多别的工作,特别是在后期更是这样,并且还有许多开不完的会加入进来。这一些繁杂的工作,实际上起了很好的调剂作用。干一件工作疲倦了,就换一件,这就等于休息。打一个比方说,换一件工作,就好像是把脑筋这一把刀子重磨一次,一磨就锋利。再换回来,等于又磨了一次,仍然是一磨就锋利。《罗摩衍那》我就是用这种翻来覆去地磨过的刀子翻译完毕的。
此外,《罗摩衍那》这一部书尽管长得惊人,但主题思想却很简单,一言以蔽之,不外是:正义战胜邪恶,磨难产生幸福。在“史无前例”的大混乱中,我的心情上面已谈了一些。我最初确实拥护这场“革命”,甚至在被打倒被关起来以后,也没有改变,我对它毫无正确的认识。在打倒“四人帮”以后,也就是在翻译的后期,我逐渐认识到,这一场“革命”也是一件邪恶的东西,同《罗摩衍那》中十头魔王所作所为同属一个范畴。二者在最后都被挫败了。《罗摩衍那》的主人公罗摩是一个理想人物。他经受了无数的挫折与磨难,最后终于胜利,终于享受到与爱妻团圆的幸福。本书这个主题思想,表面看来,同我有点风马牛不相及。实际上,却颇有相通之处。罗摩的胜利不时带给我一些安慰,给我这枯燥工作增添了生气,给我内心也灌上了活力。我也享受到了幸福。
德国十九世纪抒情诗人吕克特曾写过几句关于《罗摩衍那》的诗:
这样富于幻想的丑怪,这样不拘形式的激昂而滔滔若悬河般的叫作,
像《罗摩衍那》显示给你的,荷马
无疑曾教给你藐视它;可是这样高尚的心术
和这样深沉的情感,《伊里亚斯》却不能显示给你。
但是他以对朋友、对事业的高度责任心,有时候用十分谦虚的口吻,对我的译稿提出了一些问题。我非常尊重他的意见。可是我最初并没有想到,他提出的意见竟是那样准确,那样搔着痒处,那样中肯。我核对原文,十有八九是我译文有问题,或者表达不清楚,或者简直译错了。由于他的工作,我能避免一些错误。四五年以来,我们的合作是非常协调的,非常令人满意的。我在这里向他表示衷心的感谢。此外,搞封面设计、内封图和插图的张守义同志、古干同志、秦龙同志、高燕同志、吴冠英同志等,给我这一堆并不高明的译文披上了美丽的服装和饰品,增添了光彩。用一句俗话来表达,可以说是我沾了“光”。我也向他们致谢。北京大学东语系刘安武同志帮助我查阅两个《罗摩衍那》印地文译本,费了不少精力。梵文原文有一些地方晦涩难解,只好乞灵于印地文译文。尽管这两个印地文本并不高明,有时显然也有错误和矛盾,但毕竟帮助我度过了一些难关。我也应该向刘安武同志表示谢意。最后但不是最小,我还要提到李铮同志。他从十七岁起就同我一起工作,除了中间有几年的间断以外,到现在已经三十多年了。作为我的助手,他帮助我查阅资料,借阅书籍,誊清一些稿件。我常开玩笑说他有一种“特异功能”,他能认清别人难以认清的我那一些手稿。但我最初并没有完全理解他的全部本领。他受的教育并不高。但他是一个聪明人,我逐渐发现他对现代汉语有一种特别灵敏、特别正确的语感,与他同年龄的人很难比得上他,尽管受的教育比他高得很多。他这个人勤勤恳恳,兢兢业业,认真努力,一丝不苟。他有时帮我推敲词句,往往能提出精辟的见解。有时帮我做一些琐事,给我节约了大量的时间和精力。我常想,他对我的帮助等于延长了我的寿命。如果没有他的协助,我决不能做现在做的这些工作。只说一句感谢,难以表达出我的心情,但现在也只能这样说了。还有其他一些同志,在我翻译《罗摩衍那》的过程中,给了我这样那样的帮助,恕我在这里不一一列举了。
我在上面说到,译完《罗摩衍那》,觉得肩头上的担子轻了很多。这是仅仅指《罗摩衍那》而言。其他方面的担子并没有减轻,而且我也根本没有想去减轻。正相反,我在其他方面正在给自己层层加码。我计划中想做的工作,看来到二十一世纪开始时也不会做完。这一点我自己是非常清楚的。但对工作的迫切感日益强烈,这一种迫切感是我抑压不下去的。我从前在一篇文章中曾讲到鲁迅晚年总想多做点事情。他的“晚年”其实也不过五十多岁,在今天只能算是中年。我现在已年逾古稀,远远超过鲁迅活的年龄。但是,在今天的中国,人的寿命越来越长,我离开倚老卖老的年龄恐怕还有一段距离。我的许多老师,虽然年登耄耋,还在孜孜不倦地努力工作,我有什么资格感到自己老呢?我现在恨不能每天有四十八小时,好来进行预期要做的工作。那当然是不可能的。每人每天只能有二十四小时,谁也多不了一分半秒。关键在于如何使用这二十四小时。我现在就不敢放松一分一秒。如果稍有放松,静夜自思,就感到十分痛苦,好像犯了什么罪,好像是在慢性自杀。有这种心情的人,恐怕不在少数,我就不再啰嗦了。
对自己现在的精神境界,我还算是比较满意的。解放以来,我总有一种惭愧之感。在中国人民斗争最艰苦的时候,我却住在欧洲,那里仿佛成了一个避风港,我在那港里搞自己“名山事业”,没有能和人民同呼吸,共命运。要说我一点也不想中国人民,那不是事实。我是经常想到自己的人民的,我的失眠病就从那时开始。但是,不管由于什么原因,我没有参加斗争,这也是事实。外国侵略者被赶走以后,我才回国。又过了三年,中国解放。我安然享受胜利的果实,成了一个地地道道的“摘桃派”。因此,我对解放前参加斗争的老干部总是怀着由衷的诚挚的敬意,觉得自己应该努力学习,努力改造,多给人民做点工作。我总觉得人民给我的太多,而我给人民的却是太少了。在“十年浩劫”中,我虽饱经风雨,但毫无怨尤之意。其根柢大概就在这里。年轻时候,读了不少谈论人生之意义与价值的文章,茫然不得要领。到了今天,我才仿佛真正了解了人生的意义与价值。这种了解成了推动我向前进的动力。
我在过去七十年漫长的人生的程途上,曾有过求全之毁,也曾有过不虞之誉。这对我已经司空见惯了。但是,到了今天,不虞之誉,纷至沓来,实在是超出了我的一切想望。这更增加了我的惭愧之感,我时刻感到不安。惟有更加严厉鞭策自己,更加严格要求自己,庶不至辜负党和人民对我的期望,鞠躬尽瘁,老而不已。
书已经译完,而且就要全部出版了,这件事本身就足以说明问题,似乎用不着再来啰哩啰嗦写这样一大篇了。而且我自己对某一些人的那种懒婆娘裹脚式的文章自来就有反感。比如我在年轻时读《古史辨》的自序,觉得非常腻味,读不下去。前几年读一个女作家的自传,叙述在法国求学的情况,絮絮叨叨,啰哩啰嗦,把芝麻粒大的一点悲伤或快乐,细细地咀嚼,仿佛其味无穷。我也没有能读完。现在我自己为什么又这样干呢?我觉得,我翻译《罗摩衍那》的这十年,在中国是非常关键的十年。对我们国家的前途来说,是这样。对知识分子来说,也是这样。我是一个从旧社会走过来的知识分子。我所感受的一切,是有代表性的,有典型意义的。从茫然、木然,精神空虚,到毅然、决然,精神焕发,这一个过程,对大多数老知识分子来说,好像是一条必由之路。我好像是一面镜子,其中可以反映出解放后老知识分子的内心变化,反映出今天我们党知识分子政策的正确与英明。现在,开创社会主义建设的新局面的伟大任务,已经摆在我们眼前。党和人民对知识分子的重视已经家喻户晓。把我这一面镜子摆出来,也许是不无意义吧!我虽然把自己比作一面镜子,但是,我知道,这并不是一面非常光亮美妙的镜子,其中照见的东西有美,也有丑,有善,也有恶。再来一个“但是”,即使不是一面光亮美妙的镜子,它毕竟是一面镜子。在这一面镜子里,有我自己的影子,也有其他老知识分子的影子。照它一下,对于提高我们的干劲,促进我们的进步,也许不无作用吧!顾炎武有两句诗:
苍龙日暮还行雨,
老树春深更著花。
1983年2月28日写毕于桂林漓江饭店
1983年3月27日抄毕于北京